Madhu Arora

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अनोखी किस्मत

भाग-3 अनोखी किस्मत
अभी तक आपने पड़ा जसपाल के पिता हरपाल अपने बेटे का रिश्ता लेकर मोहनलाल के घर जाते हैं‌। लेकिन उनकी पत्नी नमिता इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं होती,और राधिका भी अपनी मामी का दिल नहीं दुखाना चाहती वह भी उनको मना कर देती है अब आगे क्या हुआ जानने के लिए पढ़ें ।

राधिका अपनी मामा से बोली" क्षमा करें मामा जी लेकिन मैं इस विवाह के लिए तैयार नहीं हूं।"

 इस तरह तो बिल्कुल भी नहीं जा बड़ों का दिल दुखे।
 
 और वह भी जैसी भी है  लेकिन है "तो मेरी मामी मैं उनका दिल दुखा कर नहीं कर सकती इतने साल से वह मुझे अपने साथ रख रही है। और मैं उनके सारे एहसान भूलकर स्वार्थी हो जाऊं "जिस दिन मामी इस विवाह के लिए राजी हो जाएंगी उस दिन में शादी कर लूंगी।
 
हरपाल जी बोले


"बहुत ही भाग्यशाली है तुम्हारी मां! तुम जैसी बेटी को जन्म दिया तेरे जैसी बेटी घर की बहू बनाकर अपने आपको धन्य समझूंगा " हमेशा खुश रहे बेटा!

जबसे जसपाल की मां दुनिया से गई है मेरे आंगन से रौनक ही चली गई है तू घर में आ जाएगी तो जैसे रोनक वापस आ जाएगी।

मेरे घर के आंगन में कोई बात नहीं जैसी तेरी मर्जी ।
वैसे जसपाल को समझाने में मुश्किल होगी ।
मेरा जसपाल बहुत समझदार है। 

हरपाल लाल हाथ जोड़कर मोहनलाल से नमस्ते करके दुखी मन से वापस लौट रहा था राधिका के मन में विचार उठ रहे थे ।

शादी तो चलो सही है वह मुझसे करना चाहते थे। मुझसे आखिर मैं करती  भी  क्या उस समय मुझे जैसा सही लगा वह मैंने कह दिया राधिका के मन में तरह-तरह के विचार जो उठ रहे थे और खुद ही उनका समाधान कर रही थी।
 फिर 2 दिन की पहचान में कोई शादी के लिए हाँ थोड़े ही करता है और मैं उसे प्यार भी तो नहीं करती पसंद भी तो नहीं करती।
 
राधिका अपने आप ही सवाल जवाब कर रही थी  उनके उत्तर दे रही थी।

 उसने नाश्ता बनाया और पर मामा मामी के पास ले जाकर बोली।छोड़ो भी मामी "कब तक गुस्सा हो कर बैठी रहोगी लो नाश्ता कर लो, और हांँ यह कभी मत सोचना कि मैं तुम्हारी खुशी के खिलाफ जाकर कुछ भी करूंगी शादी तो बहुत दूर की बात है ।,
 
 इतना कहकर राधिका की बात सुनकर  मोहनलाल जी की आंखें नम हो गई है । वह अपनी पत्नी नमिता से बोले" तुम यह ममता क्यों नहीं पढ़ पाई यह राधिका तेरी मर्जी के खिलाफ कोई काम नहीं करेगी" अरी भागवान अब तो इस पर थोड़ी सी ममता बरसा दे एक बार अपना प्यार भरा हाथ इसके सिर पर रख दे। थोड़ा सा प्यार दे दे एक बार"।
 अजी अब रहने भी दो "यह ज्ञान की बातें तुम्हारा उपदेश खत्म हो गया हो तो मैं नाश्ता कर लूंँ"।
 मोहनलाल जी बोले "तुझे समझाना तो पत्थर पर सिर फोड़ने के बराबर है तू कभी नहीं समझेगी चाहे तेरे लिए कोई जान की बाजी लगा दे" ।
 
 हरपाल ने अपने घर पहुंचकर सारी बात जसपाल से कह दी बोला कोई बात नहीं पापा जी "मै राधिका से बात नही करूंगा जब तक वह नहीं करेगी इसके पहले मुझे उसका दिल जीतना होगा उसे भरोसा दिलाना होगा कि मैं जीवन भर उसका साथ निभा सकता हूं "।
 राधिका की जिंदगी रोजमर्रा की तरह फिर से पटरी पर चल पड़ी थी सुबह शाम का वही काम फिर शाम को बाजार जाकर सब्जी लाना सब्जी लेने गई तो क्या देखती है। जसपाल उसका इंतजार करता हुआ बाजार में खड़ा था। राधिका ने जसपाल को देखा तो थोड़ा सा घबरा गई।
 बचकर निकल कर जा रही थी तभी जसपाल ने आवाज दी "राधिका जी मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी है"। राधिका बोली लेकिन" मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी है"
 
 ऐसा कहकर राधिका तेज कदमों के साथ आगे बढ़ने लगी‌ जसपाल राधिका के पीछे पीछे आने लगा राधिका को बहुत गुस्सा आया उसने जसपाल से कहा आप ऐसा क्यों कर रहे हैं इतना सब कुछ तो हो चुका है और क्या बचा है क्यों मेरे पीछे आ रहे हो।
  "मैं तुम्हें पसंद भी नहीं करती इतना सुनकर जसपाल के कदम थोड़ा  थम गये"। कुछ सोच कर बोला अच्छा तो यह बात है आप मुझे पसंद नहीं करती माफ कीजिए!
  राधिका जी "आज के बाद में कभी भी आपके पीछे नहीं आऊंगा यह बात मुझे पता ही नहीं थी मुझे लगा था कि आप भी मेरी तरह मुझे पसंद करती है।"
  जसपाल बेचारा मायूस होकर वहां से वापस चला राधिका ने इतना सब जसपाल से कह तो दिया था लेकिन अब उसे बहुत दुख हो रहा था कि गुस्से में इतना कुछ कह तो दिया। घर आकर राधिका रसोई में चली गई और खाने बनाने लगी,
   अचानक उसका मन इतना भारी हुआ  घुटनों में सिर रखकर फूट-फूट कर रोने लगी।
    इतने में उसे बाहर से मोहन लाल जी की आवाज सुनाई दी ।
    उसने सोचा लगता है मामा जी आ गई और वे फौरन अपने आंसू पोंछकर अपने काम में लग गई ।
    
मोहनलाल जी रसोई में आए और राधिका से आकर बोले आज जसपाल मिला था तो बेटा मैंने उससे पूछा कुछ काम था किसलिए आए थे ।
जसपाल बोला राधिका से कुछ सवालों के जवाब चाहिए थे जो मिलगये मुझे लगा था ।
जैसे मैं  राधिका को पसंद करता हूं वह भी मुझे पसंद करें। वह भी मुझे पसंद करें परंतु ऐसा नहीं है।

राधिका दुखी होते हुए बोली "मामा जी इस विषय में मुझे कोई बात नहीं करनी जो हो नहीं सकता तो क्यों हम उसके पीछे पड़े। "जैसी तेरी मर्जी लेकिन कोई फैसला लेने में से पहले एक बार जरूर सोच लेना इतना प्यार करने वाले लोग बड़ी मुश्किल से मिलते हैं।" 
इतना कहकर मोहनलाल जी रसोई से बाहर आ गए उधर आज जसपाल अपने घर पहुंचा उसके चेहरे पर निराशा के भाव साफ साफ नजर आ रहे थे ।
तभी हरपाल बोला बोला मुझे पता था वह मना ही करेगी  बहुत ही भली लड़की है। मुझे पता था ।वह पहले ओरो का सोचती है फिर अपने बारे में सोचती है ।
 "तू निराश मत हो फिर कोशिश कर" जल्दी तेरी छुट्टियां खत्म होने वाली मैं चाहता हूं।
  कि तू कि "तेरे जाने से पहले तेरी सगाई में उससे करवा दू।"

राधिका की सगाई जसपाल के साथ हो पाई क्या वह दोनों शादी के अटूट बंधन में बंध पाए नमिता राजी हुई इन सब सवालों का जवाब जानने के लिए थोड़ा सब्र कीजिए थोड़ा इंतजार कीजिए मुझे आपकी समीक्षाओ का बेसब्री से इंतजार है।

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3 Comments

Natasha

14-May-2023 07:35 AM

Nice one

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अदिति झा

25-Apr-2023 04:28 PM

Nice part 👌😄

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बहुत ही रोचक कहानी।

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